कामिका एकादशी: पितरों के कष्ट भी हो जाते हैं दूर-बिगड़े कार्य बनाता है यह व्रत

भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को एकादशी का धार्मिक महत्व बताते हुए कहा था कि जिस तरह नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़, देवताओं में श्री विष्णु, वृक्षों में पीपल तथा मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण व्रतों में एकादशी श्रेष्ठ है.

श्रावण मास में आने वाली कृष्ण पक्ष एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। कामिका एकादशी को भगवान विष्णु का उत्तम व्रत माना जाता है। सावन माह में आने के कारण इस एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की भी आराधना करनी चाहिए। इस व्रत में सूर्य देव की भी आराधना करें। इस व्रत के प्रभाव से बिगड़े हुए कार्य भी बन जाते हैं। पितरों के कष्ट दूर होते हैं। मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को प्राप्त होता है।

दशमी, एकादशी और द्वादशी को कामिका एकादशी के नियमों का पालन होता है। इन तीन दिनों के दौरान जातकों को चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। दशमी के दिन एक समय भोजन ग्रहण करें और सूर्यास्त के बाद कुछ भी नहीं खाना चाहिए। एकादशी की रात को जागरण करें। द्वादशी के दिन पूजा कर दान करना चाहिए। एकादशी के दिन पेड़ पौधों को नहीं तोड़ते हैं। किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए। श्रावण में भगवान श्री हरि का पूजन करने से देवता, गंधर्व आदि सब पूजित हो जाते हैं। कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान का विशेष महत्व है। भगवान को मक्खन मिश्री और तुलसी दल अवश्य अर्पित करें। विष्णु सहस्त्र नाम पाठ का जाप करें। फलाहार में तुलसी दल का प्रयोग करें। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें। पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करें।

कामिका एकादशी की पूजा विधि:

1.कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के सभी नामों का जाप करना चाहिए. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कामिका एकादशी के सिलसिले में कहा है कि इस दिन जो इंसान नारायण की प्रतिमा के सम्मुख घी या तिल के तेल का दिया जलाता है उसे पुण्य लाभ होता है. उसके शुभ कर्म इतने बढ़ जाते हैं कि देवता चित्रगुप्त भी उसके शुभ कर्मों का हिसाब नहीं रख पाते हैं.
2.कामिका एकादशी का व्रत रखने वाले जातकों को दशमी से ही इसकी शुरुआत कर देनी चाहिए. कामिका एकादशी के दिन जातक को सुबह उठकर नहा धोकर विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इसके बाद उन्हें धूप, दीप, फल, फूल एवं नैवेद्य अर्पित करना चाहिए. प्रयास करना चाहिए कि पूरे दिन मन ही मन भगवान विष्णु का समरण करते रहें और किसी पर गुस्सा न करें और मन को भी सात्विक विचारों में ही लगाएं.

3.शाम के समय सबके साथ बैठकर किसी ज्ञानी पंडित से कामिका एकादशी की व्रत कथा सुननी चाहिए. साथ ही इस दिन भगवान विष्णु के मन्त्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का यथासंभव जप करें एवं इस दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ भी करना चाहिए.

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