नई दिल्ली: आदित्य ठाकरे मुंबई की वर्ली सीट से भरेंगे नामांकन

52 सालों में ठाकरे परिवार के तीन पीढ़ियों की राजनीति में ये पहली बार होगा जब कोई इस खानदान से चुनाव में किस्मत आजमा रहा है। शिवसेना प्रमुख के एक करीबी सहयोगी हर्षल प्रधान ने बताया कि आदित्य 2009 में राजनीति में उतरने के बाद से संगठन में सक्रिय हैं।

नई दिल्ली: शिवसेना के लिए आज का दिन ऐतिहासिक बनने जा रहा है। ऐतिहासिक इसलिए क्योंकि 52 साल में पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनावी दंगल में उतर रहा है। शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे आज मुंबई की वर्ली सीट से नामांकन भरेंगे लेकिन नामांकन से पहले शिवसेना आदित्य ठाकरे के समर्थन में मुंबई की सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन भी करेगी। नामाकंन के इस दिन को और दमदार बनाने के लिए मेगा रो शो भी हो रहा है।
सियासत तो आदित्य को विरासत में मिली लेकिन मेहनत से इस विरासत को मजबूत करने का इरादा उन्हें चंद दिनों में ही शिवसैनिकों के बीच पॉपुलर करने लगा है इसलिए पहले महाराष्ट्र को समझने के लिए वो जन आशीर्वाद यात्रा पर निकल पड़े। आज आदित्य बदलाव की बात करते हैं, वो युवाओं की बात करते हैं और उनका युवा चेहरा उनकी बातों को सीधे शिवसैनिकों से जोड़ लेता है।

किसी भी पिता के लिए वो दिन सबसे बड़ा दिन होता है जब वो अपनी सत्ता पर अपने बेटे का राजतिलक करता है। सिर्फ उद्धव ही नहीं, शिवसैनिक भी वर्ली में अपने युवराज के तिलक के लिए भव्य तैयारी में है और इसकी गवाही दे रही है अलग अलग भाषाओं में छपे पोस्टर्स जिनसे पूरे वर्ली को सजा दियाा गया है।

52 सालों में ठाकरे परिवार के तीन पीढ़ियों की राजनीति में ये पहली बार होगा जब कोई इस खानदान से चुनाव में किस्मत आजमा रहा है। शिवसेना प्रमुख के एक करीबी सहयोगी हर्षल प्रधान ने बताया कि आदित्य 2009 में राजनीति में उतरने के बाद से संगठन में सक्रिय हैं। वह खुद पर्दे के पीछे रह कर नये युवा नेताओं का एक कैडर बना रहे हैं।

आदित्य ठाकरे के लिए वर्ली सीट एक महफूज सीट के तौर पर चुनी गई है। राकांपा नेता सचिन अहीर को शिवसेना में शामिल करना इसी योजना का हिस्सा था। सचिन वर्ली (मुंबई) से विधायक रहे थे। उन्होंने बताया कि शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने पिछले हफ्ते राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिल कर अनुरोध किया था कि वह वर्ली में आदित्य के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारें।

सूत्र ने बताया कि उन्होंने पवार को इस बात की याद दिलाई कि किस तरह से बाल ठाकरे ने उनकी बेटी सुप्रिया सुले को राज्यसभा भेजने के लिए चुनाव में मदद पहुंचाई थी। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में कुल 288 सीटों में शिवसेना ने 63 पर जीत दर्ज की थी जबकि भाजपा को 122 सीटें मिली थी। दोनों दलों ने अपने-अपने बूते चुनाव लड़ा था।

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