पाकिस्तान: चीन ने किया पूरा समर्थन का वादा,’कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को कहा कि कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जाने के पाकिस्तान के फैसले का चीन पूरी तरह समर्थन करता है। कुरैशी आनन-फानन में शुक्रवार को चीन गए थे जहां उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी और चीन के अन्य शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात कर बातचीत की।

चीन से वापसी के बाद इस्लामाबाद में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुरैशी ने कहा, ”मैंने चीन को बताया कि हम मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाना चाहते हैं। मैं देश को बताना चाहता हूं कि उन्होंने पूर्ण समर्थन का वादा किया है।”

उन्होंने कहा, ”चीन ने न्यूयॉर्क में अपने प्रतिनिधियों को निर्देश दिया है कि वे इस मुद्दे पर पाकिस्तानी राजनयिकों के साथ बातचीत करें।” कुरैशी ने कहा कि चीन चाहता है कि कश्मीर मसले का समाधान संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के अनुसार किया जाए।

कश्मीर मामले पर पाकिस्तानी पक्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं मिल रही खास तवज्जो: सूत्र
वहीं दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के भारत सरकार के फैसले के संबंध में संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका तक का दरवाजा खटखटा चुके पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही है। राजनयिक सूत्रों के अनुसार इस्लामाबाद से सीमा पार आतंकवाद या घुसपैठ के लिए कश्मीर के मौजूदा घटनाक्रम का इस्तेमाल ना करने के लिए स्पष्ट तौर पर कहा गया है।

पाकिस्तान द्वारा पिछले कुछ दिनों में इस मामले पर सहयोग के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी रखने वाले एक राजनयिक ने कहा कि पाकिस्तान को इस मामले पर बेहद कम तवज्जो मिली है। भारत का कहना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है और यह पूरी तरह देश का आंतरिक मामला है। वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, शीर्ष पाकिस्तानी नेता और उसके राजनयिक लगातार अमेरिकी सांसदों और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर उन्हें बता रहे हैं कि यदि वे मध्यस्थता नहीं करते हैं तो युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शुक्रवार (9 अगस्त) को कहा था कि इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष स्थिति तनावपूर्ण दिखाने की कोशिश कर रहा है।उन्होंने कहा, ”यह ध्यान आकर्षित करने का एक पैंतरा है… समय आ गया है कि पाकिस्तान नयी वास्तविकता का सामना करे और भारत के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद करे।”

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