मैक्स बोर्न के 135वें जन्मदिन पर गूगल का डूडल

नई दिल्ली: नोबल विजेता मैक्स बोर्न के 135वें जन्मदिन को सेलीब्रेट करते हुए गूगल ने उनका डूडल बनाया है. इस डूडल को गेस्ट आर्टिस्ट Kati Szilagyi ने तैयार किया है, जो जर्मनी के बर्लिन में रहती हैं. 11 दिसंबर 1882 को जर्मनी में जन्मे मैक्स बोर्न को ‘फंडामेंटल रिसर्च इन क्वांटम मैकेनिक्स’ के लिए 1954 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था. क्वांटम मैकेनिक्स के क्षेत्र में अतुल्य योगदान के लिए मैक्स बोर्न की ‘बोर्न थ्योरी’ आज क्वांटम फिजिक्स की लगभग हर रिसर्च का आधार है.

मैक्स बोर्न एक उत्कृष्ट छात्र थे जिन्होंने गौटिंगेन विश्वविद्यालय में पीएचडी की और फिर उसी विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफेसर बन गए. उन्होंने अपने समय के कई प्रसिद्ध वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन किया और कई अहम खोज में अपना योगदान दिया.

साल 1933 के जनवरी महीने में नाजी पार्टी के ताकत में आने पर मैक्स बोर्न के यहूदी होने के कारण उन्हें विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया. 1935 में वे सी.वी.रमन के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए बेंगलुरु आ गए. बोर्न यहां इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में स्थायी पद लेना चाहते थे, लेकिन उनके लिए सीट नहीं बनाई गई, जिसके कारण वे वापिस लौट गए.

जर्मनी के हालत को देखते हुए उन्होंने जर्मनी की नागरिकता छोड़ दी, जिसके बाद वे इंग्लैंड चले गए. यहां उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ एडिंबर्ग में करीब दो दशक तक प्राकृतिक दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया.

1954 में रिटायर होने के बाद मैक्स बोर्न वापिस जर्मनी के गौटिंगेन लौट आए. 5 जनवरी 1970 को यहीं पर उनका देहांत हो गया.एक एटम मैटर की सबसे छोटी इकाई है. क्वांटम यांत्रिकी फिजिक्स का एक अध्याय है जो कण का ग्रैन्यूलर लेवल पर अध्ययन करता है, जो पर्सनल कंप्यूटर, लेजर, मेडिकल इमेजिंग उपकरणों (एमआरआई) जैसे कई बड़े आविष्कार का कारण बना.

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