मुजफ्फरपुर: मॉब लिंचिंग को लेकर मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी 49 हस्तियों की बढ़ी मुश्किलें

मुजफ्फरपुर. मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाले 49 नामी लोगों के खिलाफ गुरुवार को मुजफ्फरपुर में केस दर्ज किया गया। इसमें रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम और अपर्णा सेन समेत कई हस्तियों के नाम शामिल हैं। स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से 2 महीने पहले दायर याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया।

ओझा ने कहा कि सीजेएम ने 20 अगस्त को मेरी याचिका स्वीकार की थी। 3 अक्टूबर को सदर पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। मोदी को लिखे खुले पत्र में हस्ताक्षर करने वाले 49 हस्तियों को याचिका में आरोपी बनाया गया है। उन पर आरोप है कि इन लोगों ने देश की छवि को धूमिल किया और अलगाववादी प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के प्रभावशाली कार्यों को कमतर आंका।

पुलिस के मुताबिक, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, राजद्रोह, शांति भंग करने जैसे धाराएं लगाई गई हैं।

फिल्म निर्माता मणिरत्नम, अनुराग कश्यप समेत 49 हस्तियों ने पत्र लिखा था

कला, साहित्य और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी 49 हस्तियों ने 23 जुलाई काे मोदी के नाम खुला पत्र लिखा था। इसमें मुस्लिम, दलित और अन्य समुदायों के खिलाफ भीड़ द्वारा की जा हिंसा (मॉब लिंचिंग) पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस चिट्ठी में अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा, रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप, शुभा मुद्गल जैसे अलग-अलग क्षेत्र के दिग्गजों के हस्ताक्षर थे। सरकार ने चिट्ठी में लगाए आरोपों को खारिज किया था।

2014 के बाद से अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले के 90% मामले दर्ज

पत्र में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए कहा गया था, ‘‘मई 2014 के बाद से जबसे आपकी सरकार सत्ता में आई, तब से अल्पसंख्यकों और दलितों के खिलाफ हमले के 90% मामले दर्ज हुए। आप संसद में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निंदा कर देते हैं, जो पर्याप्त नहीं है। सवाल यह है कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई?’’

49 हस्तियों के पत्र के जवाब में 62 हस्तियों ने खुला खत लिखा था

49 हस्तियों के पत्र के जवाब में कंगना रनौत, प्रसून जोशी, समेत 62 हस्तियों ने खुला खत लिखा था। उनका कहना था कि कुछ लोग चुनिंदा तरीके से सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हैं। इसका मकसद सिर्फ लोकतांत्रिक मूल्यों को बदनाम करना है। उन्होंने पूछा कि जब नक्सली वंचितों को निशाना बनाते हैं तब वे क्यों चुप रहते हैं?

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