माइग्रेन के दर्द से हैं परेशान, तो दूध में ये मिलाकर पीने से मिलेगा आराम

स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी छोटी परेशानी आपके जिंदगी को बहुत प्रभावित कर सकती है। ऐसी ही एक परेशानी का नाम है माइग्रेनज्ज्.माइग्रेन, सिरदर्द का एक बुरी स्थिति है, जिसमें इंसान सिरदर्द को बर्दास्त नहीं कर पाता है। यह 10-40 वर्ष के लोगों को हो सकता है। आमतौर पर यह दिमाग में एबनॉर्मल एक्टिविटी के कारण होता है। इसके अतिरिक्त यह हार्मोन में बदलाव, फूड, एल्कोहॉल ड्रिंक, स्ट्रेस के कारण भी होता है।

दूध में मिलाएं तुलसी

माइग्रेन की स्थिति में आप दूध में तुलसी की 7-8 पत्ती को उबाल लें और इसको पीने के लिए इस्तेमाल करें। आपको माइग्रेन अटैक से काफी हद तक राहत मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि तुलसी की पत्ती में एंटीडिप्रेसेंट और एंटी एंजायटी गुण पाए जाते हैं। जबकि माइग्रेन होने के कारण में डिप्रेसन और एंजायटी भी शामिल हैं। इसलिए इनके लक्षण के दिखते ही आप दूध में तुलसी की पत्ती को उबालकर पी लें। 

दूध और पेठा का करें सेवन

माइग्रेन की शुरुआती लक्षण के दिखने पर दूध और पेठा को मिक्सर में डालकर पांच मिनट घुमाएं। उसके बाद इसे पीने के लिए इस्तेमाल करें। दूध में एंटीएंटीडिप्रेसेंट गुण होने के कारण यह आपके माइग्रेन अटैक को काफी हद तक कम कर देगा। जबकि पेठे (आगरा का मशहूर) में सिरदर्द को ठीक करने का गुण पाया जाता है, जिससे माइग्रेन के जोखिम को कम करने में काफी मदद मिलेगी।

सिर पर लगाएं ये लेप

माइग्रेन के दर्द को कम करने के लिए आप सिर/माथे पर लेप भी लगा सकते हैं। इसके लिए आप चंदन, दालचीनी और मुलेठी को पीस लें और इसका एक बड़ी चम्मच में लेप बना लें। इसके बाद आप इसे माथे पर या सिर में लगाएं। आपको काफी हद तक आराम मिलेगा। मुलेठी, चंदन और दालचीनी में औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसी कारण से यह आपके दर्द को काफी हद तक कम कर देता है। 

एंटीडिप्रेसेंट की दवा का करें सेवन

माइग्रेन के खतरे से बचे रहने के लिए डॉक्टर के सुझाव पर एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का सेवन करें। यह आपको माइग्रेन के खतरे से बचाए रखने में मदद करेंगे। एक बात का विशेष ध्यान दें कि बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन न करें। नहीं तो इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।

एस्पिरिन का न करें ज्यादा सेवन

यह दवा माइग्रेन में कई लोगों के द्वारा इस्तेमाल की जाती है। हालांकि इसका फायदा तो मिलता है लेकिन इसके नुकसान भी हैं। दरअसल एक वैज्ञानिक रिसर्च के बाद यह देखा गया कि माइग्रेन से पीडि़त जिन लोगों के द्वारा इस दवा का सेवन ज्यादा किया गया, उनका लीवर बहुत कमजोर था। इसलिए इस दवा के अधिक सेवन से बचे रहें। 

अच्छे से पूरी करें अपनी नींद

माइग्रेन के अटैक से बचे रहने के लिए जरुरी है कि आप अपनी नींद को अच्छे से पूरी करें। डॉक्टर के द्वारा तो यह सुझाव दिया ही जाता है लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण भी है। डॉक्टरों के द्वारा इस विषय पर रिसर्च के बाद बताया गया कि नींद पूरी करने से दिमाग की सारे नसें शिथिल पड़ जाती हैं और उनमें ट्रिगर का कोई भी खतरा नहीं रहता है। यही वजह है कि माइग्रेन से परेशान लोगों को हमेशा भरपूर नींद लेनी चाहिए और लेट नाईट पार्टियों से भी बचना चाहिए।

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