लखनऊ:  नहीं पिघले किसान, आज लखनऊ में होगी महापंचायत

इस महापंचायत का एजेडा MSP गारंटी कानून, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी और किसानों की समस्याओं के साथ महंगाई के मुद्दे भी होंगे। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से रात भर ट्रेन और बसों के जरिए किसान लखनऊ पहुंचते रहे।

लखनऊ: केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया इसके बावजूद किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों ने आज लखनऊ में महापंचायत का ऐलान किया है। सुबह 10 बजे से किसान महापंचायत शुरू करेंगे, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत भी शामिल होंगे। लखनऊ के बंगला बाजार के इको गार्डन पर किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है।

सोशल मीडिया के जरिए राकेश टिकैत और किसान संघ ने मजदूर, किसान और युवाओं से अपील की है कि वो अधिक से अधिक संख्या में महापंचायत में शामिल हों। इस महापंचायत का एजेडा MSP गारंटी कानून, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी और किसानों की समस्याओं के साथ महंगाई के मुद्दे भी होंगे। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से रात भर ट्रेन और बसों के जरिए किसान लखनऊ पहुंचते रहे। पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर की हालत तो ऐसी थी कि ट्रेन में किसानों के बैठने की जगह तक नहीं थी।

गौरलतब है कि संयुक्त किसान मोर्चे की लखनऊ में महापंचायत से पहले किसानों की तरफ से कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र भी भेजा गया है। इस खत में किसानों के आगे के एजेंडे के बारे में लिखा है मतलब लखनऊ के मंच से वो आज क्या मांग करने वाले हैं ये सब इस खुले खत में लिखा है। आंदोलन पर बैठे किसानों ने मुख्य रूप से छह मांगें रखी हैं तीन पुरानी मांग है, और तीन आंदोलन के दौरान की घटनाओं को लेकर मांगे को इसमें जोड़ा गया हैं।

खुले खत के जरिए किसानों ने क्या कहा है, वो पढ़िए-

1. सबसे पहले चिट्ठी में एमएसपी पर कानून बनाने पर बात की गई है।

2. उसके बाद सरकार की ओर से प्रस्तावित बिजली संशोधन एक्ट का ड्राफ्ट वापस लेने को कहा गया है।
3. तीसरी मांग ये है कि एनसीआर में एयर क्वालिटी अध्यादेश में किसानों को सजा देने का प्रावधान हटाए जाए।
4. इसके बाद डिमांड ये है कि दिल्ली, हरियाणा और दूसरे राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान सैकड़ों मुकदमे लगाए गए हैं, उन्हें वापस लेने की मांग है।
5. अगली मांग ये है कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मुख्य आरोपी के पिता और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को कैबिनेट से बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।
6. और सबसे अंतिम मांग ये है कि आंदोलन के दौरान मारे गए करीब 700 किसानों के परिवारों को मुआवजा दी जाए और उनके पुनर्वास का इंतजाम हो।

असल में प्रधानमंत्री ने कृषि कानून वापस लेकर विपक्ष के हाथ से एक बड़ा मुद्दा छीन लिया। कृषि कानूनों की वापसी के एलान के बाद अब सभी दल बीजेपी के खिलाफ एक नया एजेंडा बनाने में जुट गए हैं। अब दिल्ली के बजाय लखनऊ को किसान आंदोलन का नया सेंटर बनाना चाहते हैं, जिससे यूपी में चुनाव से पहले बीजेपी विरोधी माहौल बनाया जा सके इसकी शुरुआत आज लखनऊ में किसान महापंचायत से हो रही है।

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