महाराष्ट्र: शिव सेना लगता है 2 नांव में सवारी करना चाहती है..!

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शिव सेना, लगता है 2 नांव में सवारी करना चाहती है,भाजपा से बात ना बनी तो शरद पवार का सहारा लेगी.

आईडिया टीवी न्यूज़: महाराष्ट्र के पिछले विधान सभा चुनाव में शिव सेना भाजपा से अलग चुनाव लड़ी थी. भाजपा को 122 सीट मिली जबकि लड़ी थी 260 और शिव सेना को 282 लड़ने पर 63 सीट मिली.

सरकार भाजपा बना गई और बाद में शिव सेना सरकार में शामिल हुई मगर 2019 के लोक सभा चुनाव तक उद्धव और उसके नेता संजय राउत राज्य सरकार और मोदी के खिलाफ लगातार आग उगलते रहे. ऐसे में लोकसभा में गठबंधन होना संभव नहीं था लेकिन भाजपा की उदारता से गठबंधन हुआ और दोनों ने 24 – 24 सीट लड़ी.

पिछले विधान सभा की सीटों के आधार पर शिव सेना को लड़ने के लिए अबकी भाजपा से ज्यादा सीट नहीं मिल सकती थी, जबकि वो बराबर सीट चाहती थी और वो भी संभव नहीं था. मगर फिर भी सेना को 124 सीट मिली हैं और भाजपा को 164 लेकिन शिव सेना मुख्यमंत्री पद के लिए अभी से दावा ठोक रही है, जबकि कायदे से ज्यादा सीट जीतने वाले दल का ही मुख्यमंत्री बनना चाहये, या तो शिव सेना को ये उम्मीद है कि वो भाजपा से ज्यादा सीट जीत जाएगी, या कम होने पर भी अपना मुख्यमंत्री मांगेगी वरना गठबंधन तोड़ने की धमकी देंगे.

इसलिए शिव सेना ने दूसरा विकल्प भी अभी से तलाश कर लिया है और शरद पवार की तरफ प्यार की पींगे बढ़ा दी हैं. अगर भाजपा ना मानी तो शरद पवार की पार्टी के साथ गठबंधन कर लेंगे और सरकार बना लेंगे.

इसीलिए महाराष्ट्र सहकारी बैंक के 25 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में संजय राउत ने शरद पवार को क्लीन चिट दे दी है, ये कहते हुए कि घोटाले में शरद पवार का कोई हाथ नहीं है. जबकि अभी जांच होनी है और इसके लिए संजय राउत शरद पवार से मिलने उनके घर भी पहुँच गए.

शिव सेना का आचरण आज से नहीं काफी अरसे से गठबंधन धर्म के विपरीत रहा है.उसे लगता है गठबंधन निभाने का दायित्व केवल बड़ा दल होने के नाते भाजपा का है और उसे खुद को तो उत्पात मचाने का जन्मसिद्ध अधिकार है. ऐसा भाजपा के अन्य सहयोगी दल भी करते हैं जबकि मोदी का नाम ले कर ये दल आजकल अपनी नैया पार लगाने में सफल हो रहे हैं.

उद्धव ठाकरे और उससे ज्यादा संजय राउत को समझना चाहिए कि 2 नावों की सवारी करने वाले का डूबना तय होता है. अगर मंशा है भी तो भी सफल नहीं हो पाएंगे.

आजतक (की अंजना ओम कश्यप ने कहा था) लिख के रख लो मेरी बात, आदित्य ठाकरे एक दिन शिव सेना का राहुल गाँधी साबित होगा. ऐसे बोल दिया आदित्य को राहुल गाँधी जैसे उसे गाली दे दी हो.

राहुल गाँधी तो प्रधानमंत्री नहीं बना, अब देखना है, अंजना ओम कश्यप के लिए शिव सेना का राहुल गाँधी, आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री बनता है या नहीं. वैसे भी ठाकरे खानदान का कोई चश्मों चिराग 1966 में शिव सेना की स्थापना के बाद पहली बार चुनाव में उतरा है , जबकि राज ठाकरे तो थक हार कर घर बैठ गया और इस चुनाव
में नहीं उतर रहा….
😊Sy

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