नई दिल्ली: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहला भारतीय राफेल लड़ाकू विमान लेने फ्रांस जाएंगे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षासचिव अजय कुमार और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फ्रांस जाएंगे. राफेल विमान को भारत को सौंपने के लिए आयोजित कार्यक्रम में फ्रांस के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और डसॉल्ट एविएशन के अधिकारी भी शामिल होंगे.

नई दिल्ली: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आठ अक्टूबर को पहला भारतीय राफेल लड़ाकू विमान लेने फ्रांस जाएंगे. राफेल विमानों को फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन ने बनाया है. पहले खबरें थीं कि 20 सितंबर तक राफेल की डिलीवरी हो जाएगी. सूत्रों की मानें तो आठ अक्टूबर की तारीख का फैसला बेहद सोच समझ कर किया गया है. आठ अक्टूबर को दशहरा और वायुसेना दिवस दोनों हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षासचिव अजय कुमार और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फ्रांस जाएंगे.

पहले की योजना के मुताबिक वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ 19-20 सितंबर को फ्रांस जाना था. बता दें कि धनोआ इसी महीने के आखिर में रिटायर हो रहे हैं, इसलिए अब भारत को राफेल उनके रियारमेंट के बाद ही मिलेंगे.

राफेल विमान को भारत को सौंपने के लिए आयोजित कार्यक्रम में फ्रांस के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और डसॉल्ट एविएशन के अधिकारी भी शामिल होंगे. इस यात्रा के दौरान राजनाथ सिंह का फ्रांस के रक्षामंत्री से मिलकर दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग और मबजूत करने पर विस्तृत चर्चा करने का कार्यक्रम है. सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना की उच्चस्तरीय टीम पहले ही पेरिस में मौजूद है और राफेल विमान के हस्तांतरण कार्यक्रम के लिए फ्रांसीसी अधिकारियों के साथ समन्वय कर रही है.

उल्लेखनीय है कि भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए अंतर सरकारी समझौता किया था. इन विमानों की लागत 58,000 करोड़ रुपये के करीब है. भारतीय वायुसेना पहले ही राफेल विमानों को शामिल करने के लिए आधारभूत ढांचा और पायलटों का प्रशिक्षण पूरा कर चुकी है. सूत्रों के मुताबिक इन विमानों का एक स्क्वाड्रन अंबाला में और दूसरे को पश्चिम बंगाल के हासिमारा में तैनात किया जाएगा.

ये है राफेल की खासियत

भारत को फ्रांस से जो राफेल लड़ाकू विमान मिलने वाला है वो 4.5 जेनरेशन मीडियम मल्टीरोल एयरक्राफ्ट है. मल्टीरोल होने के कारण दो इंजन वाला (टूइन) रफाल फाइटर जेट हवा में अपनी बादशाहत कायम करने के साथ-साथ दुश्मन देशों की सीमा में घुसकर हमला करने में भी सक्षम है.

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