ऑस्ट्रेलिया ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा, एमएच 370 का लापता हो जाना कल्पना से परे है

सिडनी: लापता विमान एमएच 370 के खोज अभियान की अगुआई कर रहे प्रमुख अधिकारियों ने मंगलवार (3 अक्टूबर) को बताया है कि अब एमएच 370 के संभावित स्थान के बारे में बेहतर समझ विकसित हुई है. हालांकि ब्यूरो ने माना है कि आधुनिक समय में विमान का इस तरह से लापता हो जाना कल्पना से परे है. मलेशियाई एयरलाइन के इस जेट विमान में 239 लोग सवार थे. यह विमान मार्च 2014 में कुआलालंपुर से बीजिंग जाने के दौरान लापता हो गया था. इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंद महासागर के दूरदराज के दक्षिणी इलाकों में इसकी तलाश की गई और तलाश अभियान को जनवरी में समाप्त कर दिया गया. अब तक विमान का पता नहीं चल पाया है. उपग्रहों की मदद से किए गए विश्लेषण के आधार पर विमान के परिवर्तित रास्ते के संभावित स्थान के आधार पर 120,000 वर्ग किमी भूभाग में तलाश की गई थी लेकिन विमान का कोई सुराग नहीं मिला.

तलाश मिशन का नेतृत्व करने वाले ऑस्ट्रेलियाई ट्रांसपोर्ट सेफ्टी ब्यूरो (एटीएसबी) ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में मंगलवार (3 अक्टूबर) को कहा है, “एमएच 370 के लापता होने के ठोस कारणों का पता तब तक नहीं चल सकता जब तक विमान मिल न जाए.” इसमें कहा गया है, “यह बिल्कुल कल्पना से बाहर और अस्वीकार्य बात है कि आधुनिक उड्डयन समय में एक बड़ा कारोबारी विमान लापता हो जाए और दुनिया को कोई ठोस जानकारी न मिले कि विमान और उस पर सवार लोगों का क्या हुआ.” इस विमान को तलाश करने का अभियान इतिहास का सबसे बड़ा अभियान था. एटीएसबी ने कहा कि इस अभियान के आरंभ में सीमित आंकड़ों और उपग्रह संचार से मिले आंकड़ों के आधार पर काम करना मुश्किल था.

बाद में समुद्र में तलाश के दौरान मलबे का पता लगाने के लिए, उस अध्ययन का सहारा लिया गया जिसकी मदद से लंबे समय से बहने वाले मलबे के समय का पता लगाया जा सकता है. करीब तीन साल की तलाश के बाद भी 440 पन्ने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएच 370 के संभावित स्थान के बारे में पहले की तुलना में अब बेहतर समझ विकसित हुई है.

इस विमान के सिर्फ तीन टुकड़े हिंद महासागर के पश्चिमी तट पर मिले हैं. इन टुकड़ों में दो मीटर लंबा, पंख का हिस्सा है जिसे प्लेपेरॉन कहा जाता है. एटीएसबी ने कहा है कि इस दुर्घटना ने गायब हुए विमानों के स्थान का पता लगाने के संबंध में जरूरी सीख दी है. एटीएसबी ने कहा, “विमान के स्थान का पता लगाने के लिए जरूरी प्रणाली पहले से ज्यादा आधुनिक हुई है और यह क्रम जारी रहेगा.”

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