दिल्ली-एनसीआर में घुटने लगा दम, खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण

दिव्या अग्रवाल, नई दिल्ली: दिल्ली में वायु प्रदूषण हर दिन नए रेकॉर्ड बना रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई और वीरवार को ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। इसके लिए काफी हद तक हवा का शांत रहना और कम तापमान जिम्मेदार रहा, जिसके कारण प्रदूषक कण इकठ्ठा हुए। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का और गंभीर खतरा उत्पन्न होने की आशंका पैदा हो गई है।

रेडलाइट ऑन, गाड़ी ऑफ

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रेडलाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान की शुरुआत की। दरअसल दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान के नजदीकी क्षेत्रों में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में खासी बढ़ोतरी भी देखी गई है लेकिन इसका राजधानी में वायु गुणवत्ता पर प्रभाव कम था। दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 का स्तर सुबह 8 बजे से हो बढ़ना शुरू हो जाता है। सुबह 8 बजे ये 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा जो शाम तके खतरनाक स्तिथि में पहुच जाता है।

पर्यावरण मंत्री की पंजाब से अपील- न जलाएं पराली

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के खतरानाक होते स्तर को देखते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पंजाब से पराली न जलाने की अपील की है। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अब तक केवल 4% प्रदूषण ही मल के जलने के कारण हो रहा है। दिल्ली में बायोमास जलती है। ये सभी कारक मिलकर राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण संकट में योगदान करते हैं। पर्यावरण मंत्री ने पंजाब सरकार से अपील की कि वह पराली जलाना बंद करे।

दिल्ली डीजल जनरेटर पर रोक

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने आज यानी 15 अक्टूबर से जनरेटर सेट्स के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। डीजल, पेट्रोल और केरोसिन से चलने वाले सभी क्षमताओं के बिजली पैदा करने वाले जनरेटर पर यह पाबंदी लागू रहेगी। हाईवे एवं मेट्रो जैसी बड़ी परियोजनाओं में निर्माण कार्य के लिए पहले भी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी।

कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा

वहीं डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण से कोरोनोवायरस के मामलों में वृद्धि होगी, क्योंकि सांस से सम्बंधित संक्रमण कोविड-19 के केंद्र में हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कि ऐसी स्थिति में ज्यादा से ज्यादा कोरोना के टेस्ट किए जाए ताकी उनके इलाज पर ध्यान दिया जा सके। सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी का कहना है कि, ‘साल के इस समय में अस्पताल में श्वसन(सांस से संबंधित) संबंधी बीमारियां बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण बढ़ती हैं। इस साल हमारे पास प्रदूषण के साथ कोविड का दोहरा बोझ है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण दिल्ली वासियों के फेफड़े कमजोर हो जाते हैं, जो चिंताजनक है।’

क्या होना चाहिए पीएम 10 का स्तर

भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे पीएम 10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है। पीएम 10, 10 माइक्रोमीटर के व्यास वाला सूक्ष्म अभिकण होता है, जो साँस के जरिये फेफड़ों में चले जाते हैं। इनमें धूल-कण इत्यादि शामिल होते हैं। पीएम 2.5 का स्तर 128 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। पीएम 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक सुरक्षित माना जाता है। पीएम 2.5 अति सूक्ष्म महीन कण होते हैं जो रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं। यानी साफ है कि बाकी और मौसमों के साथ प्रदूषण का मौसम भी दस्तक दे चुका है। जिससे निपटने के लिए आम लोगों और सरकार दोनों की भागीदारी जरूरी है।

पसंद आया तो—— कमेंट्स बॉक्स में अपने सुझाव व् कमेंट्स जुरूर करे  और शेयर करें

आईडिया टीवी न्यूज़ :- से जुड़े ताजा अपडेट के लिए हमें यूट्यूब और   पर फॉलो लाइक करें

    ssss

    Leave a Comment

    Related posts