मिस्र को झटका, अमेरिका ने रोकी 13 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद

अमेरिका ने मिस्र को दी जाने वाली करोड़ों डॉलर की सैन्य मदद रोक दी है. इसके पीछे की वजह देश में होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन को बताया गया है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) के प्रशासन ने मानवाधिकारों (Human Rights) को लेकर चिंताओं के बीच मिस्र को दी जाने वाली 13 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता (Military Aid) रद्द कर दी है. इस घोषणा से कुछ ही दिन पहले अमेरिकी प्रशासन ने मिस्र में 2.5 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दी थी. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि मिस्र ने 13 करोड़ डॉलर की सैन्य वित्तीय सहायता लेने के लिए शर्तों को पूरा नहीं किया है. मिस्र के लिए निर्धारित इस राशि को सितंबर से रोक कर रखा गया था.

मंत्रालय ने कहा कि यह धनराशि अब अन्य कार्यक्रमों के लिए निर्धारित की जानी चाहिए. हालांकि उसने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी (US Military Aid to Egypt). मंत्रालय ने मिस्र को 2.5 अरब डॉलर के सैन्य परिवहन विमानों और रडार प्रणालियों की बिक्री का कोई उल्लेख नहीं किया. उसने इस बिक्री को मंगलवार को मंजूरी दी थी. अधिकारियों ने बताया कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने मिस्र के समकक्ष से गुरुवार को फोन पर बात की थी. जिसमें मानवाधिकारों के मुद्दे पर भी चर्चा की गई. मामले में अब रविवार तक कोई फैसला हो सकता है.

30 जनवरी की डेडलाइन दी थी

मामले में मिस्र के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है. मिस्र के अधिकारियों को 30 जनवरी तक की डेडलाइन दी गई थी. जिसमें मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी (Abdel Fattah al-Sisi) की सरकार से कई शर्तों को पूरा करने को कहा गया है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने सार्वजनिक तौर पर विस्तार से इन शर्तों के बारे में नहीं बताया है. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इसमें केस 173 नाम का मामला भी शामिल है, जिसमें सिलिव सोसाइटी के अधिवक्ताओं के लंबे समय तक अभियोजन को रोकना और 16 व्यक्तियों के खिलाफ लगे आरोपों को हटाना शामिल है.

प्रभावित हो सकते हैं रिश्ते

अमेरिका मिस्र को हर साल एक बिलियन डॉलर से अधिक का सैन्य सहयोग देता आ रहा है. लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि वर्तमान फैसला अमेरिकी नेताओं और मानवाधिकारों कार्यकर्ताओं के दबाव में आकर लिया गया है. जिससे दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं. मिस्र ह्यूमन राइट्स कॉकस के सह-अध्यक्ष और अमेरिकी प्रतिनिधि टॉम मालिनोवस्की ने कहा, ‘संदेश ये है कि मिस्र अब हमारे करदाताओं के पैसे से दी जाने वाली मदद को हल्के में नहीं ले सकता या यह नहीं मान सकता कि वो चाहे कुछ भी करे और हमारे नेता केवल रिश्ते बचाने के बारे में सोचते रहें.’

 

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