कुमार विश्‍वास ने कहा, ‘आप सोचिए, मेरे से असुरक्षा किसे महसूस हो रही है…’ (इशारा : केजरीवाल)

कुमार विश्वास, अपनी छवि के अनुरूप, शायराना अंदाज़ में ही अपनी तकलीफ भी बांट रहे हैं कि कैसे राजनीति की दुनिया में उनके अगले तार्किक कदम – राज्यसभा सदस्यता पाना – को नाकाम करने की कोशिश की जा रही है. कुमार विश्वास का मानना है कि वह हमेशा ब्राइड्समेड (दुल्हन की सहेली) ही बने रहे, कभी दुल्हन नहीं बने, और इसी के सबूत के तौर पर वह कहते हैं, “मैं इंसान हूं, मेरी भी महत्वाकांक्षाएं हैं… मैं और बड़ी संख्या में मेरे समर्थक मानते हैं कि मुझे राज्यसभा में पहुंचना चाहिए, जहां मैं BJP और कांग्रेस के खिलाफ सधी हुई आवाज़ बन सकूंगा… मैंने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर आम आदमी पार्टी की स्थापना की थी… इसके बावजूद मैंने दिल्ली सचिवालय में कभी चाय भी नहीं पी…”

प्रोफेसर, हिन्दी कवि और भीड़ जुटाने वाले कुमार विश्वास ने इसी साल अरविंद केजरीवाल को भी एक ज़ोरदार झटका दिया था – ऐसी ख़बरें थीं कि उन्होंने तख्तापलट लगभग कर ही डाला था, ताकि वह उस आम आदमी पार्टी के मुखिया बन सकें, जिसकी 2012 में स्थापना करने वालों में वह भी शामिल थे.

वैसे पार्टी पर काबिज़ होने की यह कथित कोशिश पहला मौका नहीं था, जब कुमार विश्वास को सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ा हो. इससे पहले भी कुमार विश्वास को लगातार यह कहने के लिए मजबूर किया जाता रहा था कि वह BJP के लिए सॉफ्ट स्पॉट रखने के बावजूद न वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी में शामिल होने के इच्छुक हैं, न उनके इशारे पर आम आदमी पार्टी में विघटन की कोशिश कर रहे हैं.

उन्हें शांत करने के लिए उस समय उस AAP नेता को निलंबित कर दिया गया था, जिसने सार्वजनिक रूप से कुमार विश्वास पर तख्तापलट का आरोप लगाया था, और व्यंग्यकार को राजस्थान में पार्टी की देखरेख का ज़िम्मा सौंपकर उनकी इस शिकायत को भी दूर कर दिया गया था कि उनके पास पार्टी में कोई आधिकारिक पद नहीं है.

कल रात मुझे दिए गए एक लम्बे इंटरव्यू में (पूरा ऑडियो नीचे सुनें) कुमार विश्वास ने कहा कि AAP में जो लोग उन्हें नीचे धकेलने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं, ताकतवर बने हुए हैं. उन्होंने ऐसे लोगों को ‘कायरों’ की संज्ञा दी, जो ‘महाभारत के अभिमन्यु की तरह उनका वध करने के लिए एकजुट हो गए हैं…’

उनकी बड़ी शिकायतों में से एक यह भी थी कि जिन अमानतुल्लाह खान ने उन्हें ‘RSS एजेंट’ कहा था, और उन पर तख्तापलट की साज़िश का आरोप लगाया था, उन्हें पार्टी में सभी पदों पर बहाल कर दिया गया है.

कुमार विश्वास ने कहा, “जिस कमेटी ने उनका निलंबन रद्द किया, उसके तीनों सदस्यों को मैंने फोन किया… तीनों – पंकज मिश्र, आतिशी मारलेना और आशुतोष – ने इतनी कर्टसी भी नहीं दिखाई कि मेरा फोन उठा लें… आशुतोष ने बाद में मुझे कॉल कर बताया कि ऐसा कर दिया गया है… बस, अब पार्टी इसी तरह करीबी मित्रों द्वारा व्हॉट्सऐप पर चलाई जा रही है…”

वर्ष 2015 में दिल्ली में मिली शानदार जीत की बदौलत आम आदमी पार्टी दिल्ली की तीनों राज्यसभा सीटें निश्चित रूप से जीत जाएगी. ये सीटें जनवरी में खाली होंगी, जब मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल खत्म होगा, और कुमार विश्वास का कहना है कि तीनों में से एक सीट के हकदार वह हैं.

उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर सीधे हमला नहीं किया, लेकिन यह कहने से भी नहीं हिचके कि उन्हें AAP से निकाले जाने की साज़िश पूरे ज़ोरशोर से चल रही है. उन्होंने साफ कहा, “मैं आपको बताता हूं कि मैं अरविंद और मनीष के आग्रह पर AAP का गठन किया था, और भले ही मुझे बाहर फेंक दिया जाए, जैसी साज़िश चल रही है, मैं किसी और पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा…”

“मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि पार्टी मेरे साथ प्रशांत भूषण योगेंद्र यादव पार्ट 2 की योजना बना रही है… आप सोचिए, मेरे से असुरक्षा किसे महसूस हो रही है…” उन्होंने यह भी कहा, “मेरे खिलाफ काम कर रही कोटेरी (गुट) कहती रही, वह सिर्फ आलोचना करते हैं, ज़मीनी स्तर पर कोई काम नहीं करते, तो मई में मैंने कहा था, ठीक है, मुझे दिल्ली में (निगम चुनाव के लिए) काम करने दीजिए… मेरी नहीं मानी गई… फिर मैंने पंजाब के लिए कहा, वह भी नहीं मानी गई… आखिरकार, मुझे राजस्थान दिया गया, और मैं वहां गया… कहने के बावजूद AAP के केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार भी मेरी मदद नहीं की…”

कुमार विश्वास ने कहा, इसके बावजूद मैंने राजस्थान में पार्टी का आधार मजबूत किया. उनका कहना था, “मैंने काफी बड़ा फर्का पैदा किया… मैंने 2018 में चुनाव का सामना करने जा रहे राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम ‘तुगलकी रानी’ रखा, क्योंकि वह सरकारी अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किए जाने से रोकने का अध्यादेश लाईं, जिसमें पत्रकारों पर भी इन मामलों की रिपोर्टिंग करने पर पाबंदी थी, और वह नाम वायरल हो गया…”

कुमार ने कहा, “जब मैंने पार्टी बनाई थी, हम विपक्ष नहीं, विकल्प बनना चाहते थे… अब लगातार सात चुनाव हारकर, जिनमें पंजाब उपचुनाव भी शामिल है, जिस तरह पार्टी चल रही है, क्या मुझे उसकी तारीफ करनी चाहिए…?”

पिछली बार कुमार को मनाने के लिए अरविंद केजरीवाल आधी रात को उनके घर पहुंच गए थे, लेकिन इस बार लगता है, वह इस बात पर दृढ़ हैं कि वह राज्यसभा सीट से कम किसी बात पर नहीं मानेंगे.

शुरू से माना जा रहा था कि राज्यसभा की सीटें कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को मिलेंगी, लेकिन अब ऐसे लोग इन सीटों को पाने की कोशिश में हैं, जिन्हें ये नहीं मिलने वाली थीं. कुमार ने कहा, “मैं अभिमन्यु की तरह मारा जाऊंगा, लेकिन लड़ना नहीं छोड़ूंगा… हम सभी अभिमन्यु को बहादुर और उसे मारने वालों को कायर के रूप में याद करते हैं… मेरे साथ भी ऐसा ही होगा…”

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