Explainer: Zomato की प्लेटफॉर्म फीस बढ़ी, जानें कैसे डालेगी आपकी जेब पर असर

प्लेटफॉर्म फीस या कंविनियंस फीस आज के दौर की सच्चाई है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कंपनियों का इसे वसूलने के पीछे का तर्क है कि ग्राहक कंपनी की टेक्नोलॉजिकल सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए ये एक तरह का सुविधा शुल्क (कंविनियंस फीस) है.

ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाले प्लेटफॉर्म्स ने एक बार फिर अपनी प्लेटफॉर्म फीस को बढ़ा दिया है. अब ये 5 रुपए हो गई है. अब देखना ये है कि क्या सिर्फ जोमैटो की कमाई बढ़ेगी या असल में आपकी जेब पर डाका डलेगा. वहीं जोमैटो के मुकाबले क्या स्विगी से खाना मंगाना सस्ता पडे़गा? चलिए समझते हैं कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी असल में आपको कितनी महंगी पड़ने वाली है?

प्लेटफॉर्म फीस या कंविनियंस फीस, इसे वसूलने से पहले देश में मौजूद अधिकतर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म घाटे में चल रहे थे. सबसे पहले पेटीएम और फोनपे जैसे डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स ने मोबाइल रिचार्ज से लेकर अन्य सर्विसेस के इस्तेमाल के लिए 2 रुपए तक की प्लेटफॉर्म फीस लेना शुरू किया. इसके पीछे तर्क दिया गया कि ग्राहक कंपनी की टेक्नोलॉजिकल सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए ये एक तरह का सुविधा शुल्क (कंविनियंस फीस) है.

इसका असर जल्द ही इन कंपनियों की बैलेंस शीट पर दिखने लगा. कंपनियां बहुत ज्यादा प्रॉफिट भले ना कमा पाई हों, लेकिन उनका घाटा नीचे आने लगा. इसे देखते हुए जोमैटो और स्विगी जैसे ऐप्स ने भी प्लेटफॉर्म फीस लेना शुरू कर दिया. कंपनियों के लिए ये सीधे ग्राहक से होने वाली कमाई है, क्योंकि इसमें बीच में कोई भागीदार नहीं. जबकि इसके अलावा रेस्टोरेंट पार्टनर, डिलीवरी बॉयज से कमीशन से कंपनी की और इनकम होती है.

अगस्त 2023 से जोमैटो कर रहा कमाई

जोमैटो ने अगस्त 2023 से प्लेटफॉर्म फीस लेना शुरू किया. पहले ये हर ऑर्डर पर 2 रुपए रखा गया, बाद में अक्टूबर के आसपास बढ़ाकर इसे 3 रुपए किया गया. फिर जनवरी-फरवरी के आसपास ये 4 रुपए हो गया और अब कंपनी ने इसे बढ़ाकर 5 रुपए कर दिया है. इसी तरह स्विगी पर बेसिक प्लेटफॉर्म फीस 5 रुपए है, जो सोमवार को 4 रुपए ली जा रही है, क्योंकि मार्केट में उसकी सीधी टक्कर जोमैटो से है. जनवरी तक स्विगी पर भी प्लेटफॉर्म फीस 3 रुपए प्रति ऑर्डर थी.

स्विगी ने बीच में एक बार अपने कुछ ग्राहकों के साथ प्रैंक भी किया था. जनवरी में कंपनी ने कुछ ग्राहकों से प्लेटफॉर्म फीस के नाम पर 10 रुपए तक वसूले थे और बाद में उन्हें 5 रुपए का डिस्काउंट दे दिया था. क्या आपने कभी सोचा है कि ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने पर आपको कितने और कैसे-कैसे चार्जेस देने पड़ते हैं?

आखिर कौन-कौन से चार्जेस वसूलते हैं Swiggy-Zomato?

अगर आप स्विगी और जोमैटो से फूड ऑर्डर करते हैं, तो ये आपको कई मायनों में महंगा पड़ता है. सबसे पहले तो स्विगी और जोमैटो पर जो भी फूड-आइटम्स की लिस्टिंग होती है, वह बिना जीएसटी के होती है. ऐसे में आपको फाइनल बिल क्रिएट होने पर जीएसटी चुकाना होता है. इतना ही नहीं ये जीएसटी आपको सिर्फ फूड आइटम्स की वैल्यू पर नहीं, बल्कि जोमैटो की प्लेटफॉर्म फीस पर भी आपको 18% जीएसटी देना होता है.

जोमैटो और स्विगी के बिल्स का कैलकुलेशन

इसके अलावा आपको डिलीवरी फीस, पैकिंग फीस, रेस्टोरेंट फीस जैसे चार्जेस भी देने होते हैं. इन्हें लेकर स्विगी या जोमैटो पर कोई पारदर्शिता नहीं है. ना तो ग्राहक को ये पता होता है कि इन चार्जेस को किस हिसाब से वसूला जाता है. ना उसे ये पता होता है कि आखिर कितने ऑर्डर या कितने दूर से ऑर्डर मंगाने पर डिलीवरी फ्री होगी. कई बार ग्राहकों को महज 1 किमी की दूरी से खाना ऑर्डर करने पर भी 40 से 50 रुपए तक की डिलीवरी फीस देनी पड़ती है. इसलिए हर ऑर्डर पर डिलीवरी फीस से लेकर रेस्टोरेंट चार्जेस तक सब अलग-अलग होता है.

बढ़ता गया Zomato का प्रॉफिट

अगर आप अगस्त 2023 के बाद से ही जोमैटो की कमाई का आंकड़ा देखेंगे, तो आपको पता चलेगा कि उसका प्रॉफिट एकदम से बढ़ा है. कंपनी ने जुलाई-सितंबर तिमाही के जो परिणाम जारी किए उसमें उसका स्टैंडअलोन प्रॉफिट 315 करोड़ रुपए रहा है. अक्टूबर-दिसंबर में ये बढ़कर 384 करोड़ रुपए हो गया. ये कंपनी का सिर्फ जोमैटो प्लेटफॉर्म से होने वाला प्रॉफिट है, क्योंकि इसमें ब्लिंकइट का खर्च शामिल नहीं है, अन्यथा कंपनी का कंसोलिडेटेट प्रॉफिट अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में महज 138 करोड़ रुपए बैठता.

आपकी जेब पर कैसे होता है असर?

जोमैटो की प्लेटफॉर्म फीस या ऑनलाइन ऑर्डर करना आखिर आपकी जेब पर कैसे असर डालता है, इसे एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आप हर महीने जोमैटो से करीब 50 ऑर्डर करते हैं और उनकी औसत ऑर्डर वैल्यू 200 रुपए है, यानी आप करीब 10,000 रुपए की वैल्यू का ऑर्डर करते हैं. इसमें 5 रुपए के हिसाब से 250 रुपए आप सिर्फ प्लेटफॉर्म फीस के नाम पर देंगे, इसमें भी 45 रुपए सीधे सरकार जीएसटी के तौर पर ले जाएगी.

मान लेते हैं कि आपके 200 रुपए में फूड आइटम्स की वैल्यू करीब 150 रुपए है, जिसमें से 5 प्रतिशत जीएसटी के नाम पर सरकार हर बार 7.5 रुपए ले जाएगी. बाकी पैसा रेस्टोरेंट चार्जेस और डिलीवरी फीस के रूप में जाएगा. यानी जोमैटो से ये छोटे ऑर्डर करने पर आपको सिर्फ 7000 रुपए का खाना मिलेगा, बाकी पैसा आप सिर्फ जीएसटी और डिलीवरी, प्लेटफॉर्म फीस और रेस्टोरेंट चार्जेस के नाम पर देंगे.

क्या डिस्काउंट्स का मिलता है फायदा?

इन सब बातों को पढ़ने के बाद आप तर्क दे सकते हैं कि ये प्लेटफॉर्म आपको फूड ऑर्डर पर डिस्काउंट तो देते हैं. तो खुद जोमैटो के फाउंडर दीपिंदर गोयल ने रणवीर इलाहाबादिया (बीयरबाइसेप्स) के एक पॉडकास्ट में डिस्काउंट का गणित बताया है. इसमें वह बताते हैं कि जोमैटो पर अगर कोई 400 रुपए का ऑर्डर करता है और कंपनी की ओर से उसे 50% ऑफ का कूपन दिया जाता है, और उसकी अपर लिमिट 80 रुपए होती है.

ऐसे में असली डिस्काउंट 20 प्रतिशत होता है ना कि 50 प्रतिशत. वहीं कई बार ये डिस्काउंट ऑफर सिर्फ जोमैटो गोल्ड जैसी सर्विस लेने वालों को ही मिलते हैं, इसमें आपको अग्रिम तौर पर एक फिक्स फीस इन कंपनियों को देनी होती है.

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