गुजरात चुनाव: नौशादी सोलंकी vs रमणलाल वोरा

अहमदाबाद: दसाडा की सीट दलितों के लिए आरक्षित है. भाजपा ने विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष रमणलाल वोरा जबकि कांग्रेस ने युवा नौशाद सोलंकी को मैदान में उतारा है. वह पहले इडर से चुनाव लड़ते रहे हैं. इस बार पार्टी ने उन्हें दसाडा सीट टिकट दिया है. स्थानीय स्वराज के चुनाव में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी थी. भाजपा में अंदर ही अंदर खींचातानी चल रही है. यहां से जीतने के लिए भाजपा का गणित किसी के गले नहीं उतर रहा है लेकिन फिर भी कांग्रेस को यहां पर जोर लगाना जरूरी हो गया है. यह सीट सुरेंद्रनगर जिले में स्थित है. इस विधानसभा सीट में 253 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव में, इस सीट के लिए मतदाताओं की संख्या 218763 थी. भारतीय जनता पार्टी के पूनमभाई मकवाना ने 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. वोरा 2016 में विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए थे.

गुजरात में बीजेपी के सबसे बड़े दलित चेहरों में में से एक है. इसके पहले वो साबरकांठा की इडर सीट से चुनाव लड़ा करते थे. 1995 से लेकर 2012 तक हुए पांच चुनावों में रमनलाल वोरा को इडर सीट पर कामयाबी मिली. इस बार पार्टी ने उन्हें दसाडा से खड़ा किया है. उनके आने के बाद से ही सुरेंद्रनगर की इस सीट का मुकाबला बहुत खास हो गया है.

उधर, कांग्रेस ने नौशाद सोलंकी को रमणलाल वोरा के मुकाबले उतारा है. सोलंकी गुजरात कांग्रेस के अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को संभालते हैं. उसके अध्यक्ष हैं. सुरेंद्रनगर की ये सीट उनके लिए कतई नई नहीं है. पिछले कुछ समय से वो लगातार यहां काम करते आ रहे हैं. ये सीट दोनों पार्टियों के बड़े दलित नेताओं का अखाड़ा बन गया है. गुजरात की कुल आबादी में करीब सात फीसद हिस्सा दलितों का है. देखना होगा कि दलित इस बार बीजेपी का साथ देते हैं या फिर कांग्रेस का.

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