ओडिशा में 1,25,000 तो पश्चिम बंगाल में 3,3,0000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया

उड़ीसा के पारादीप क्षेत्र में 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा रफ्तार की हवाएं चल रही हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में अभी हवाओं की गति कम है लेकिन दोपहर के बाद जब चक्रवात पश्चिम बंगाल की चट रेखा पहुंचेगा तब हवाओं की गति में इजाफा होगा.

उड़ीसा के पारादीप क्षेत्र में 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा रफ्तार की हवाएं चल रही हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में अभी हवाओं की गति कम है लेकिन दोपहर के बाद जब चक्रवात पश्चिम बंगाल की चट रेखा पहुंचेगा तब हवाओं की गति में इजाफा होगा.

नई दिल्ली: उड़ीसा के पारादीप क्षेत्र में 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा रफ्तार की हवाएं चल रही हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में अभी हवाओं की गति कम है लेकिन दोपहर के बाद जब चक्रवात पश्चिम बंगाल की चट रेखा पहुंचेगा तब हवाओं की गति में इजाफा होगा. उड़ीसा से अब तक करीब 1,25,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर एनडीआरएफ की मदद से पहुंचाया गया है ,जबकि पश्चिम बंगाल में 3,3,0000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. आज अमावस्या के कारण जब चक्रवात तटरेखा पहुंचेगा, तब लहरों की ऊंचाई 5-6 मीटर यानी 20 फीट ऊंचाई तक जा सकती है.

भारत और दुनिया के बड़े साइक्लोन

  1. भोला साइक्लोन, पूर्वी पाकिस्तान ( 1970) – भोला चक्रवाती तूफान 8 नवंबर 1970 को बंगाल की खाड़ी से शुरू हुआ था और 12 नवंबर को पूर्वी पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश बन चुका है वहां पर पहुंचकर कहर बरपाने लगा. ये तूफान करीब 185 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आया और जमीन से टकराते ही इसने तबाही मचानी शुरू कर दी, इससे दस जिले प्रभावित हुए और पांच लाख से ज्यादा लोग मारे गए .
  2. हुगली रिवर चक्रवाती तूफान, 1737 – हुगली रिवर साइक्लोन साल 1737 में आने के बाद कलकत्ता और बांग्लादेश में ऐसी तबाही मचाई थी की करीब तीन लाख लोग बेमौत मारे गए थे. इस दौरान बंदरगाहों पर खड़े करीब 20 हजार जहाज बर्बाद हो गए थे. इस साइक्लोन ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया. इसे इतिहास के सबसे खतरनाक साइक्लोन में एक गिना जाता है
  3. हैपोंग टाइफून चक्रवाती तूफान, 1881 – साल 1881 में वियतनाम में आये हैपोंग तूफान में भी काफी बर्बादी हुई थी. इसने करीब 3 लाख लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया. साइक्लोन 27 सितंबर 1881 को शुरू हुआ था और 8 अक्टूबर को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया.
  4. कोरिंगा चक्रवाती तूफान, भारत, 1839 – आंध्र प्रदेश के कोरिंगा में 25 नवंबर 1839 को आए इस च्रकवाती तूफान ने करीब 3 लाख लोगों की जिंदगी बर्बाद करके रख दी. इस चक्रवाती तूफान में करीब 25 हजार जहाजों को भी बर्बाद कर दिया.
  5. बैकरगंज चक्रवाती तूफान, 1876 – 29 अक्टूबर से लेकर एक नवंबर 1876 तक बैकरगंज चक्रवाती तूफान ने खूब कोहराम मचाया था. इस तूफान में मरनेवालों का आंकड़ा 2 लाख के करीब पहुंच गया था. इस दौरान कई लोग तो उस पानी की तेज रफ्तार में बह गए और कई भूखमरी का शिकार हो गए.
  6. टाइफून आइडाः आइडा सितंबर 1958 में 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जापान के तट से टकराया. बाद में इसकी रफ्तार 325 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई. ये इतना भयंकर तूफान था कि इसने कई बड़े बड़े भवनों तक को गिरा दिया. आइडा के कारण जापान में कुल 1,269 लोगों की मौत हुई. इतनी मौतों से जापान के लोग हिल गए थे. इससे पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ.
  7. टाइफून हैयानः हैयान को अब तक का सबसे प्रचंड उष्णकटिबंधीय तूफान माना जाता है. फिलिपींस में इसे योलांडा के नाम से जानते हैं. ये दुनिया में अब तक के चौथे सबसे प्रचंड तूफान के रूप में दर्ज है. इसकी रफ्तार 314 किलोमीटर प्रति घंटे थी. ये तीन नवंबर 2013 को बना. 11 नवंबर को खत्म हो गया. इस तूफान के कारण फिलिपींस, वियतनाम और दक्षिण चीन का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ. इसके कारण 11 हजार 801 लोगों की मौत हुई जबकि कुल 68 करोड़ 60 अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ. शायद इतनी बड़ी तबाही आजतक किसी तूफान ने नहीं मचाई है.
  8. हरकेन कटरीनाः अगस्त 2005 में अमेरिका के लुसियाना और मिसिसिपी में कटरीना से भारी नुकसान हुआ था. 23 अगस्त 2005 को ये 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उठा. ये तूफान आठ दिनों तक तबाही मचाता रहा. कटरीना के कारण कुल 1833 लोगों की जानें गईं, जबकि कुल 108 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ.

 

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