नई दिल्ली : रक्षामंत्री ने रवाना की करगिल विजय मशाल

की 20वीं वर्षगांठ: रक्षामंत्री ने रवाना की विजय मशाल, 11 शहरों से गुजरेगी

नई दिल्ली । Kargil Vijay की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर दिल्ली के युद्ध स्मारक से एक विजय मशाल द्रास के लिए रवाना की गई है। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद रहे। यह मशाल 11 शहरों से होकर गुजरेगी और देशभक्ति का संदेश देगी।
विजय मशाल प्रज्वल‍ित करने से पहले दिल्ली के वॉर मेमोरियल पर आयोजित कार्यक्रम में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक ‘विजय मशाल’ जलाई जो करगिल द्रास मेमोरियल तक जाएगी।

कार्यक्रम में करगिल युद्ध में भाग ले चुके सैनिकों के अलावा एनसीसी कैडेट्स और छात्र भी शामिल रहे।
इस विजय मशाल को ले जाने में खिलाड़ी, सैनिक, एनसीसी कैडेट और छात्र शामिल होंगे। इसके माध्यम से देशभक्ति का संदेश दिया जाएगा। यह मशाल 11 शहरों से होकर गुजरेगी। 26 जुलाई को यह मशाल लेह पहुंचेगी और वहां बड़ा आयोजन किया जाएगा।

दिल्ली में बने इस युद्ध स्मारक पर शहीदों के नाम लिखे हुए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और आर्मी चीफ बिपिन रावत ने शहीदों को सलामी दी। इसके बाद मौन धारण करके वीरों को श्रद्धांजलि दी गई। रक्षा मंत्री ने मशाल को प्रज्ज्वलित किया। इसकी आग पहले से जल रही वॉर मेमोरियल से ली गई।

सबसे पहले सूबेदार जीतू राय इसे लेकर दौड़े और फिर गुरप्रीत सिंह ने मशाल संभाली। इस मशाल को पहले राष्ट्रपति भवन ले जाया गया और वहां से इसे आगे के लिए रवाना किया जाएगा। द्रास में इस मशाल को वहां जल रही ज्योति में समर्पित कर दिया जाएगा।

ऐसी है मशाल की डिजाइन

मशाल की डिजाइन बेहद अलग है. इसका सबसे ऊपर का हिस्सा कॉपर का है और बीच का हिस्सा कांसे का. नीचे का हिस्सा लकड़ी का है. अमर जवानों के त्याग को दर्शाने वाला चिन्ह बीच में है. करगिल विजय को अभी 12 दिन बाकी हैं. ये मशाल 11 शहरों से होते हुए द्रास तक पहुंचेगी. मशाल को टाइगर हिल, तूलिंग पॉइंट और पॉइंट 4875 पर भी ले जाया जाएगा.

करगिल युद्ध की कुछ अहम बातें

– करगिल युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर 3 जुलाई से 26 जुलाई के बीच लड़ा गया था.
-इस युद्ध में भारत के 522 जवान शहीद हुए थे. इनमें 26 अफसर, 23 जेसीओ और 473 जवान शामिल थे. घायल सैनिकों की तादाद 1363 थी.

-युद्ध में पाकिस्तान के 453 सैनिक मारे गए थे.

-करगिल की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था. यहां करीब 5 हजार पाकिस्तानी सैनिक मौजूद थे.

-पाकिस्तानियों को खदेड़ने के लिए भारतीय वायुसेना ने मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल किया था.

-भारत की ओर से 2 लाख 50 हजार गोले दागे गए थे. 300 से ज्यादा मोर्टार, तोप और रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था. -दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला ऐसा युद्ध था, जिसमें दुश्मनों पर इतनी बमबारी की गई.

– एजेंसी

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