हिजाब विवादः मुस्लिम देशों के संगठन के बयान पर भारत ने दी यह सीख

कर्नाटक के एक कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद पर जहां हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। वहीं, यह मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है।

नई दिल्ली: कर्नाटक के एक कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब विवाद पर जहां हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। वहीं, यह मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनता जा रहा है। अमेरिका सरकार में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामले के बाद अब इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के महासचिव ने भी ट्वीट कर भारत सरकार को मुसलमानों के मानवाधिकार और आजादी की सुरक्षा की मांग की है। ओआईसी के इस बयान पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ओआईसी के इस बयान को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करार दिया। उन्होंने कहा कि हमने भारत से जुड़े मामलों पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के महासचिव के सांप्रदायिकता से प्रेरित और भ्रामक बयान से हम अच्छी तरह वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सभी मुद्दों को हमारे संवैधानिक ढांचे और तंत्र के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों और राजनीति के अनुसार माना और हल किया जाता है। उन्होंने कहा कि ओआईसी सचिवालय की सांप्रदायिक मानसिकता उन्हें इन वास्तविकताओं को सराहने की इजाजत नहीं देती है। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि भारत के खिलाफ अपने नापाक प्रचार को आगे बढ़ाने और अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए  OIC के अपहरण का काम जारी है। उन्होंने कहा कि ऐसी बेवजह और दूर्वभावना से प्रेरित टिप्पणी से केवल ओआईसी की प्रतिष्ठा को ही नुकसान पहुंचा है।

यह कहा था ओआईसी ने
जेद्दा स्थित इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के  महासचिव युसूफ़ बिन अहमद बिन अब्दुल रहमान ने सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न की कथित खबरों की बात कही। ओआईसी के महासचिव ने भारत से मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था। इसके साथ ही उन्होंने ‘भारत में मुसलमानों पर लगातार हो रहे हमले’ और हरिद्वार हेट स्पीच पर गहरी चिंता व्यक्त करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आवश्यक कदम उठाने का भी आह्वान किया था. इसी पर भारत ने यह प्रतिक्रिया दी है।

कर्नाटक हाईकोर्ट में चल रही है सुनवाई

कर्नाटक के कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। यह पक्ष और विपक्ष की ओर से अपनी-अपनी दलीलें रखी जा रही हैं। फैसले से पहले कोर्ट हर पहलू को बड़ी बारीकी से जांच रहा है। लेकिन इन सबके बीच विदेशी संस्थाओं और सरकार की ओर से इस मुद्दे पर लगातार चिंता जताई जा रही है।

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