भारत का द. अफ़्रीका दौरा: कोहली और डिविलियर्स के बीच महा-मुक़ाबला?

नई दिल्ली: भारत का दक्षिण अफ्रीका दौरा लंबे समय बाद भारत का पहला विदेशी तेज पिचों वाला दौरा है. इस तरह के विदेशी दौरों में भारत का रिकॉर्ड का कोई बहुत अच्छा नहीं है. हमेशा ही टीम इंडिया अपने आलोचकों के इस ताने का सामना करना पड़ता है कि भारत के बल्लेबाज घर के ही शेर हैं. इन दौरों की तैयारी के दौरान भी  भारतीय बल्लेबाजों की विदेशी तेज पिचों पर कमजोरी पर ध्यान रखा जाता है. भारतीय टीम को पांच जनवरी से शुरू हो रहे पहले टेस्ट के दौरान न्यूलैंड्स की पिच पर शायद उस तरह के उछाल का सामना नहीं करना पड़े, जिसकी वे उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि कई वर्षों में खराब सूखे ने मैदानकर्मियों के लिए घरेलू टीम के मुफीद पिच तैयार करने में मुश्किल पैदा की हैं.

रिपोर्ट के अनुसार लोगों को प्रत्येक दिन 87 लीटर से ज्यादा पानी का इस्तेमाल नहीं करने को कहा गया है. न्यूलैंड्स में बोरहोल-वाटर सप्लाई प्रणाली है, लेकिन मैदानकर्मी इवान फ्लिंट ने ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा कि चीजें पेचीदा हो सकती हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘पिच पर हम आमतौर पर प्रत्येक दिन बोरहोल सप्लाई से पानी दे रहे हैं. लेकिन आउटफील्ड पर हमने एक हफ्ते में केवल दो बार ही पानी दिया है इसलिए यह थोड़ी सूखी होगी और उतनी हरी नहीं होगी जितनी हम इसे देखना चाहते थे.’’

फ्लिंट ने कहा, ‘‘चुनौती यह है कि हमें घास विकेट पर छोड़नी पड़ेगी, जो पतली घास है ताकि इसमें तेजी रहे. लेकिन हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि गेंद इतनी ग्रिप और टर्न नहीं करे. आदर्श रूप से हमें सुबह में थोड़ी बारिश की जरूरत है और फिर दोपहर में धूप की. मुझे नहीं पता कि हमें इसे मिलने में कितने दिन लगेंगे.’’ क्यूरेटर को हालांकि फिर भी उम्मीद है कि वे सख्त उछाल भरी पिच तैयार कर सकते हैं.

बता दें कि टीम इंडिया के बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ लगातार डब्ल्यूपीसीसी पर ग्राउंड स्टाफ के साथ काम कर रहे हैं. वह यहां की पिचों का जायजा ले रहे हैं, पिच पर घास, कितना पानी डाला जाता है और कितनी देर रोलर चलाया जाता है इस सबकी निगरानी कर रहे हैं.

वहीं, टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री का कहना है कि टीम इंडिया के लिए विदेशी दौरे परंपरागत रूप से डरावने होते हैं. उन्होंने कहा, हमारे लिए हर गेम ऐसा ही होगा जैसे हम अपने घर में खेल रहे हैं. हालांकि यह होम गेम न्यूलैंड्स में होगा. आप पिच को देखते हैं और खुद को उसी के अनुरूप ढालते हैं. इसमें किसी तरह की शिकायत या बचने का रास्ता नहीं है.

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