उत्तर प्रदेश: बिहार-झारखंड में डरावना है बाढ़ का मंजर

उत्तर प्रदेश.. बिहार.. झारखंड.. तीनों राज्य बाढ़ की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं। स्कूल कॉलेज बंद, अस्पताल में फैली अव्यवस्था का भयावह मंजर देख आंखें फटी की फटी रह जा रही हैं। राज्यों के प्रशासनिक विभाग और सरकारों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 24 घंटे के लिए अलर्ट जारी किया हुआ है। लगातार हो रही बारिश से बाढ़ की समस्या का निदान दूर तक दिखाई नहीं दे रहा। तीनों राज्यों में 100 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। कई बेघर हो चुके हैं तो कई अपनों से बिछड़ गए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से सकुशल निकाले गए लोग राहत शिविरों में बाढ़ के कम होने का इंतजार कर रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले एक-दो दिन तक समस्या गंभीर बनी रहेगी। बारिश के रुकने के बाद ही खतरों के निशान से ऊपर बह रही नदियों का जलस्तर नीचे जाने की उम्मीद है। तीनों राज्यों में बाढ़ से हुए नुकसान का आंकड़ा कई करोड़ के ऊपर जा चुका है। प्रशासन व सरकार द्वारा बाढ़ राहत राशि की घोषणा जरूर की गई है, लेकिन बाढ़ से प्रभावित लोगों के नुकसान की भरपाई इससे नहीं हो पाएगी। बाढ़ ने इन तीनों राज्यों के प्रभावित लोगों को कभी न भूल पाने वाला गम दे दिया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नदियों के जलस्तर पर हर वक्त नजर रखने का निर्देश पदाधिकारियों को दिया है। कहा कि नेपाल में ज्यादा बारिश होती है तो गंडक, बूढी गंडक, बागमती सहित पूरा उत्तर बिहार प्रभावित होता है। मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने एक अणे मार्ग में शुक्रवार को उच्चस्तरीय बैठक की और पदाधिकारियों को कई निर्देश दिए। बैठक में मुख्यमंत्री को बताया गया कि 28, 29 और 30 सितंबर को नेपाल में 300 मिलीमीटर तक बारिश होने की आशंका है। इसे देखते हुए एहतियात के तौर पर पिपरासी बांध के आस-पास के चार गांवों के लोगों को शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया है।

सिर्फ कम्युनिटी किचेन से काम नहीं चलेगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में सिर्फ कम्युनिटी किचेन से काम नहीं चलेगा। प्रभावित लोगों के बीच अधिक से अधिक राहत देने के लिए जगह-जगह राहत शिविर की व्यवस्था करनी होगी। जिन गांवों में बाढ़ का पानी चला गया है, वहां के लोगों को सुरिक्षत स्थानों पर तत्काल पहुंचाने का प्रबंध करें। उन्होंने प्रभावित इलाकों के डीएम को हर वक्त चौकस रहने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने बैठक में पदाधिकारियों से कहा कि वह शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बाढ़ प्रभावित इलाकों की वर्तमान स्थिति का जायजा लेंगे। कहा कि आपदा प्रभावित लोगों से लिए सरकार पूरी तरह सजग है। उम्मीद है इस बार भी लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी।

सिर्फ बारिश के कारण जलस्तर नहीं बढ़ सकता

मुख्यमंत्री ने कहा कि भागलपुर में जलस्तर बढ़ने का क्या कारण है, इसे देखें। सिर्फ वर्षा के कारण जलस्तर नहीं बढ़ सकता है। खगड़िया में भी सचेत रहने की जरूरत है। साथ ही पटना में भी विशेष रूप से निगरानी रखें। क्योंकि 1975 और 1976 में पुनपुन नदी का पानी कई गांवों में प्रवेश कर गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि शनिवार से हथिया नक्षत्र शुरू हो रहा है। यह मान्यता है कि शनिवार के दिन बारिश शुरू होती है तो तीन दिनों तक लगातार बारिश होती रहती है।

एसडीआरएफ-एनडीआरएफ की तैनाती की गई

बैठक के दौरान आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने अररिया, मधेपुरा, कटिहार, पूर्णिया, सीतामढ़ी, किशनगंज, बगहा, सहरसा, सुपौल, मुजफ्फरपुर, नवगछिया, भागलपुर सहित बाढ़ प्रभावित इलाकों, नदियों के बढ़े जलस्तर, नदियों पर बने बांध आदि की वर्तमान स्थिति से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। मुख्यमंत्री को बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में पर्याप्त संख्या में नावों की व्यवस्था की गयी है। पॉलीथिन शीट व हर जरूरी सामग्री उपलब्ध करा दी गयी है। प्रभावित इलाकों में एसडीआरएफ एवं एनडीआरएफ टीम की तैनाती की गयी है। गुवाहाटी से भी एनडीआरएफ की टीम पहुंच चुकी है।

भागलपुर में जलस्तर चार सेंटीमीटर बढ़ा

प्रत्यय अमृत ने बताया कि तेज और निरंतर बारिश से भागलपुर में गंगा नदी का जलस्तर करीब चार सेंटीमीटर बढ़ा है, लेकिन फरक्का बराज से 19 लाख क्यूसेक के हिसाब से पानी डिस्चार्ज होने के कारण जलस्तर कम होने की उम्मीद है। नवगछिया में जमींदारी बांध की स्थिति ठीक है। खगड़िया में भी जलस्तर में कमी आ रही है।

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