जयपुर के शास्त्री नगर: में 7 साल की मासूम बच्ची से रेप-25 मासूमों से दरिंदगी की बात कबूली

जयपुर के शास्त्री नगर में 7 साल की मासूम बच्ची से रेप के आरोपी सिकंदर उर्फ जीवाणु ने पुलिस सामने 25 मासूमों से दरिंदगी की बात कबूली है. पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव के अनुसार 34 साल का सिकंदर अब तक 25 बच्चों के अलावा 40 से ज्यादा पुरुषों और किन्नरों से यौनाचार कर चुका है. पुलिस के मुताबिक, सिकंदर ने पूछताछ में बताया कि वह अपने साथ पिस्तौल रखता था और अपने शिकार को पिस्तौल के जरिए डराता धमकाता था. मासूम बच्चों के साथ सिंकदर ने इस तरह की दरिंदगी पुरुषों और किन्नरों के साथ करना भी कबूला है. रेप का शिकार बच्ची के परिजनों ने सिकंदर को फांसी पर लटकाने की मांग की है.

पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव के अनुसार 34 साल का सिकंदर अब तक 25 बच्चों के अलावा 40 से ज्यादा पुरुषों और किन्नरों से यौनाचार कर चुका है. सिकंदर ने कबूल किया है कि 2004 में एक बच्चे से कुकर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी. इस मामले में उसने मुरलीपुरा थाना इलाके में एक मासूम बच्चे को ब्रेड खिलाने के बहाने ले गया. बाद में बच्चे से कुकर्म कर उसकी हत्या कर दी और शव टंकी में फैंक दिया था. इस मामले में सिकंदर का उम्रकैद की सजा हुई. शहर के कई सामाजिक संगठनों रेप के आरोपी को फांसी पर लटकाने की मांग की है ताकि किसी और बच्ची के साथ ऐसी घिनौती हरकत न हो.

पीडोफीलिया मनोविकार ज्यादातर पुरुषों में पाया जाता

मनोचिकित्सकों के अनुसार पीडोफीलिया मनोविकार ज्यादातर पुरुषों में पाया जाता है. इस विकार से ग्रसित लोगों में बच्चों का यौन शोषण करने की तीव्र इच्छा होती है. मनोविज्ञानियों के अनुसार इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों की औसतन उम्र 40 साल तक की होती है. कई मामलों में तो ऐसे लोग बच्चों के माता-पिता भी हो सकते हैं. ज्यादातर मामलों में पीड़ित बच्चों का अपराधी से परिचय या संबंध होता है. मनोविज्ञान में पीडोफीलिया से ग्रसित अपराधियों को चार श्रेणियों में बांटा गया है.

अपरिपक्व व्यक्तित्व अपराधी

ऐसे लोगों में अपनी उम्र के लोगों के साथ संतोषजनक संबंध बनाने में अक्षमता होती है. इसलिए वे कम उम्र के लोगों विशेषकर बच्चों के साथ संबंध बनाकर अपनी इच्छाओं को पूरा करते हैं.

आदतन अपराधी
इस श्रेणी में ऐसे पीडोफीलिया से ग्रसित वे अपराधी आते हैं, जो किशोरावस्था में तो एकदम सामान्य होते हैं, लेकिन वयस्कता में प्रवेश करने पर कई कारणों से सामान्य लैंगिक संबंध बनाए रखने पर अपने आप को योग्य नहीं पाते और छोटे बच्चों को शिकार बनाते हैं.

सशर्त अपराधी
इस श्रेणी में वो अपराधी आते हैं, जिन्हें छोटे बच्चों को प्रताड़ित करने की इच्छा किशोरावस्था से ही रहती है. वयस्क अवस्था में प्रवेश कर जाने पर भी वे अपनी इस आदत को बनाए रखना चाहते हैं.

समाज विरोधी अपराधी
इसमें श्रेणी में ऐसे लोग आते हैं, जो सनकी होते हैं या जिनका व्यक्तित्व समाज विरोधी होता है. ये लोग अपनी यौन इच्छा को पूरा करने के लिए बच्चों को शिकार बनाते हैं. ऐसे लोग अपराधी प्रवृति के होते हैं, जो किसी भी हद तक जा सकते हैं. यहां यह बात ध्यान में रखना जरूरी है कि ऐसे मामलों में उत्पीड़न का शिकार लड़के भी लगभग उतना ही बनते हैं, जितनी लड़कियां.

बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताएं
जयपुर के सवाई मानसिंह चिकित्सालय के मनोचिकित्सा केन्द्र के विभागाध्यक्ष डॉ. आर के सोंलकी और डॉ. जयश्री जैन बताते हैं कि बच्चों के यौन शोषण से संबंधित ज्यादातर मामलों में दोषी उनके रिश्तेदार, परिचित या घर के लोग होते हैं, जिसके कारण उन्हें पहचानना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में पेरेंट्स और टीचर्स के लिए यह जरुरी हो जाता है की वे बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में बताएं. उनकी बातों या समस्याओं को नज़रअंदाज न करें.

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