निर्भया गैंगरेप: सुप्रीम कोर्ट में दायर किया रिव्यू पिटीशन

नई दिल्ली: सोलह दिसंबर 2012 के बहुचर्चित सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के चार मुजरिमों में दो ने शुक्रवार (15 दिसंबर) को उच्चतम न्यायालय पहुंचकर उनके मृत्युदंड को सही ठहराने वाले उसके फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया. विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने समीक्षा याचिकाएं ऐसे समय दायर की हैं जब महज 12 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने मृत्यु की सजा वाले अन्य मुजरिम मुकेश की समीक्षा याचिका पर सुनवाई पूरी की. उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 23 साल की एक पैरामेडिकल छात्रा से छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार किया, उस पर गंभीर हमला किया और उसे बस से निर्वस्त्र फेंक दिया. बाद में वह सिंगापुर के एक अस्पताल में चल बसी. शीर्ष अदालत ने इस कांड में पांच मई को चार मुजरिमों- मुकेश (29), पवन (22), विनय शर्मा (23) और अक्षय कुमार सिंह (31) मिले मृत्युदंड को सही ठहराया था. इस मामले में एक अन्य आरोपी रामसिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रुप से खुदकुशी कर ली थी तथा एक नाबालिग आरोपी तीन साल तक सुधार गृह में रहकर बाहर निकला.

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने बीते 12 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय में 16 दिसंबर, 2012 के सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सजा पाने वाले चार दोषियों में से एक दोषी की पुनर्विचार याचिका का विरोध किया. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में उसकी मौत की सजा बहाल रखी थी. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ से पुलिस ने कहा कि दोषी मुकेश के वकील द्वारा दी गयी दलीलें शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार का आधार नहीं बन रही हैं. शीर्ष अदालत ने पांच मई को इस मामले में चार दोषियों मुकेश (29), पवन (22), विनय शर्मा (23) और अक्षय कुमार सिंह (31) की मौत की सजा बरकरार रखते हुये कहा था कि अपराध का ‘नृशंस, बर्बर और वहशियाना तरीका सभ्य समाज को बर्बाद करने के लिये ‘सदमे की सुनामी’ ला सकती है.

राजधानी में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में 23 वर्षीय छात्रा के साथ दक्षिण दिल्ली में चलती बस के भीतर छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसे बस से बाहर फेंकने से पहले बुरी तरह जख्मी कर दिया था. इस छात्रा की बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी. सुनवाई के दौरान मुकेश के वकील मनोहर लाल शर्मा से पीठ ने कहा कि उसे न्यायालय के पांच मई के फैसले पर पुनर्विचार के लिये ठोस मामला बनाना होगा. शर्मा ने जब दोषी के खिलाफ ‘गैरकानूनी साक्ष्यों’ का मसला उठाया तो पीठ ने कहा, ‘आपने इन सभी बिन्दुओं पर बहस की थी और हमने इन्हें अस्वीकार कर दिया था.’

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