बीजेपी की बाड़ेबंदी: 20 विधायकों को धार्मिक यात्रा पर गुजरात भेजा

जयपुर: राजस्थान में चल रहे सियासी संकट में शनिवार को उस वक्त अचानक एक और नया मोड़ आ गया जब बीजेपी ने अपने 20 से भी ज्यादा विधायकों को अचानक गुजरात भेज दिया। कहा जा रहा है कि बीजेपी सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट से आने वाले बसपा विधायकों पर फैसले के बाद अपने सभी विधायकों को बुलाकर प्रशिक्षण के नाम पर बाड़ेबंदी में रख सकती है। 

वैसे कांग्रेस ने करीब 29 दिनों से पहले से ही अपने विधायकों को होटल और रिसोर्ट में ठहरा रखा है, लेकिन बीजेपी द्वारा अपने विधायकों को गुजरात के पोरबंदर के रिसॉर्ट में शिफ्ट किए जाने को लेकर कई नए समीकरणों के संकेत मिल रहे हैं।

पोरबंदर हवाई अड्डे पर अशोक लाहोटी, निर्मल कुमावत, गोपीचंद मीणा, जबर सिंह सांखला, गुरदीप शाहपिनि, धर्मेंद्र कुमार मोची, गोपाल लाल शर्मा जैसे विधायक मीडिया से कन्नी भी काटते नजर आए। शाम को जब बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष से इस बारे में पूछ गया तो उन्होंने अपने विधायकों को गुजरात भेजे जाने को धार्मिक यात्रा का नाम देकर साफ पल्ला झाड लिया की बाड़ेबंदी जैसा शब्द तो कांग्रेस की इजाद है, लेकिन उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं था की जब कोरोनाकाल में सभी धार्मिक स्थल बंद है तो ऐसे में बीजेपी को अपने विधायकों को मंदिर ले जाने का अचानक क्यों ख्याल आ गया?

राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, मुझे हमारे करीब 40 विधायकों ने बेहद ही संजीदगी से यह बताया की उनके जिलों के कांग्रेस नेता पुलिस प्रसाशन की मदद से उन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में हमें लगा कि सतर्कता जरूरी है। हमारे विधायकों का गुजरात जाना बाड़ेबंदी नहीं कहा जा सकता। वे तनाव मुक्त होने और मंदिर के दर्शन के लिए गए हैं।

दरअसल, राजस्थान विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू हो रहा है, ऐसे में बीजेपी अपने सभी 72 विधायकों को एकजुट रखने में जुटी हुई है। जिन विधायकों पर उसे थोड़ा भरौसा कम था उन्हें बीजेपी शाषित गुजरात में अब भेज दिया गया है। बाकी विधायकों को प्रशिक्षण के नाम पर 12 अगस्त को जयपुर बुलाकर बीजेपी उन्हें कड़ी सुरक्षा में रखकर बाड़ेबंदी कर सकती है।

जिन्हें गुजरात भेजा गया है उनमें से ज्यादातर विधायक राजस्थान के दक्षिणी जिलों से आते हैं और आदिवासी-या आनुसूचित जाति-जनजाति बेल्ट से ताल्लुक रखते हैं। जिन्हें जातिकार्ड या कोई विकास का सुनहरा सपना दिखाकर बीजेपी से बगावत के लिए आसानी से उकसाया जा सकता है। यही नहीं, इनके निर्वाचन क्षेत्र के नजदीक होने के चलते महाराष्ट्र सरकार और बीटीपी के कांग्रेस खेमे में शामिल दोनों विधायक इन पर डोरे डाल सकती है।

खबर तो यह भी है की ये सभी वसुंधरा समर्थक विधायक हैं और नाराज वसुंधरा के किसी इशारे को आने वाले दिनों में परेशानी का कारण मानते हुए ही बीजेपी ने उन्हें राजस्थान से दूर रखना मुनासिब समझा है। बहरहाल अचानक बीजेपी विधायकों की बाडेबंदी बताने के लिए काफी है कि इस राजनितिक ग्रहण के असर के चलते उनकी पार्टी के भीतर भी सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है।

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