Google Maps:लॉकडाउन से परेशान लोगों की ऐसे मदद कर रहा है

Google Map के अलावा, यह सुविधा आपके स्मार्टफोन के गूगल सर्च और गूगल असिस्टेंट पर भी उपलब्ध होगी। इसका लाभ आप KaiOS आधारित फीचर फोन पर भी उठा सकते हैं, जैसे कि Jio Phone।

Google Maps पर भारत के 30 शहरों के पब्लिक फूड शेल्टर और नाइट शेल्टर यानी रैन बसेरों को लिस्ट किया गया है। गूगल मैप के इस नए फीचर का उद्देश्य COVID-19 यानी कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से प्रभावित नागरिकों की मदद करना है। फिलहाल, यह अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है। हालांकि, इस पर काम चल रहा है, ताकि अंग्रेजी के साथ-साथ इसका इस्तेमाल हिंदी भाषा में भी किया जा सके। इसके लिए बस आपके फोन में गूगल मैप्स ऐप होना चाहिए, जिसपर आप अपने नजदीकी फूड शेल्टर और रैन बसेरों को सर्च कर सकते हैं। इसके अलावा, यह सुविधा आपके स्मार्टफोन के गूगल सर्च और गूगल असिस्टेंट पर भी उपलब्ध होगी। इसका लाभ आप KaiOS आधारित फीचर फोन पर भी उठा सकते हैं, जैसे कि जियो फोन।


फूड शेल्टर और रैन बसेरों की जानकारी के लिए राज्य व केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ मिलकर Google काम कर रहा है। MyGov के ट्विटर अकाउंट के माध्यम से रविवार को इसकी जानकारी दी गई। वहीं, गूगल ने भी सोमवार को प्रेस विज्ञप्ति ज़ारी करके इसकी पुष्टि की।

इसका इस्तेमाल करना भी बेहद आसान है। जिसके लिए आपको गूगल मैप्स, गूगल सर्च या फिर गूगल असिस्टेंट पर जाकर Food shelters in ” और “Night shelters in ” डालकर सर्च करना है। रिजल्ट आपको तुरंत दिखाया जएगा। शुरुआती रूप में यह सुविधा अंग्रेजी भाषा में ही है, लेकिन आने वाले दिनों में जल्द ही आप इसके लिए हिंदी भाषा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसके अलावा, जिन लोगों को फूड शेल्टर या फिर रैन बसेरों की जरूरत पड़ती है, उनमें से ज्यादातर लोगों स्मार्टफोन यूज़र्स नहीं होते हैं। ऐसे में उन तक यह सुविधा कैसे पहुंचेगी? गूगल ने इस बात का भी ध्यान रखा और यह पुख्ता किया कि यह सुविधा हर जरूरतमंद तक पहुंचे, इसके लिए गूगल ने इस सुविधा को जियो फोन जैसे फीचर फोन के लिए भी ज़ारी किया है। जियो फोन में गूगल असिस्टेंट एक्सेस उपलब्ध होता है। गूगल इसमें न केवल ज्यादा भाषाओं को शामिल करने पर काम कर रही है बल्कि आने वाले दिनों में इसमें और शहरों के शेल्टर्स को जोड़ा जाएगा।

गूगल इंडिया के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अनल घोष का कहना है कि जरूरतमंदों तक इस सुविधा की जानकारी पहुंचाने के लिए एनजीओ, ट्रैफिक अथॉरिटी, वॉलेनटियर्स का सहारा लिया जा रहा है, ताकि यह जरूरी सुविधा हर जरूरतमंद तक पहुंचे जिसके पास स्मार्टफोन एक्सेस न हो।

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