इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को शुक्रवार (15 दिसंबर) को उस वक्त थोड़ी राहत मिली जब सर्वोच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के एक और मामले को फिर से खोलने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति मुशीर आलम, न्यायमूर्ति काजी फैज ईसा और न्यायमूर्ति मजहर आलम खान मियांखेल की तीन सदस्यीय पीठ ने 2014 में आए लाहौर उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील खारिज कर दी. उच्च न्यायालय ने सबूत के अभाव की वजह से मामले को रद्द कर दिया था. राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (नैब) ने हाल ही में 1.2 अरब रुपये के हुदैयबा पेपर मिल मामले में अपील दायर की थी. इस मामले में शरीफ परिवार पर मनी लांड्रिंग का आरोप है.
यह मामला पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ की ओर से शुरू किया गया था. नैब देश की शीर्ष अदालत को इस बारे में संतुष्ट कराने में नाकाम रहा कि उसने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने में इतना समय क्यों लगा दिया. सर्वोच्च न्यायालय का शुक्रवार का फैसला शरीफ परिवार के लिए राहत लेकर आया है. इससे पहले नवाज शरीफ को पनामा पेपर्स मामले में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. अगर मामला फिर से खोला जाता तो उनके भाई और पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ को भी इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ता.
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने 28 जुलाई को एनएबी को शरीफ और उनके बच्चों के खिलाफ छह सप्ताह में जवाबदेही अदालत में मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था. इसके साथ ही निचली अदालत को छह महीनों के भीतर इन मामलों पर फैसला करने का भी निर्देश दिया. एनएबी के इन तीनों मामलों में शरीफ और उनके दो बेटों हसन और हुसैन नामजद हैं, जबकि नवाज की बेटी मरियम और दामाद सफदर एक मामले में नामजद हैं.