रूस भड़का,पुतिन देंगे करारा जवाब-चीन ने किया तजाकिस्तान के क्षेत्र पर दावा

नई दिल्‍ली: दुनिया के कई देशों के साथ विवाद में उलझे चीन ने अब मध्‍य एशिया के देश तजाकिस्तान के एक हिस्‍से पर दावा ठोक दिया है। तजाकिस्तान की आर्थिक स्‍थिति सही नहीं है और वह कर्ज के तले दबा हुआ है। लेकिन चीन की यह हरकत उसे आने वाले दिनों में भारी पड़ सकता है, क्‍योंकि उसके इस दावे के बाद रूस ने इस पूरे मामले पर नजर गड़ा दी है।

चीन पर लगी रूस की नजर

चीन की इस घोषणा के बाद रूस की नजर भी इस मुद्दे पर शिफ्ट हो गई है, जोकि इस मध्य एशियाई में सबसे बड़ा रणनीतिकार है। रूसी मीडिया के आउटलेट भी चीनी जुझारूपन के शुरुआती संकेतों से नाराज हो गए हैं। मास्को अभी भी मध्य एशिया को अपने “प्रभाव क्षेत्र” के रूप में देखता है। ताजिकिस्तान सहित पांच मध्य एशियाई गणराज्य, यूरेशिया का एक हिस्सा थे और तत्कालीन सोवियत संघ के घटक थे।

रूसी आउटलेट्स ने चीन की तीखी आलोचना की है और यह भी सुझाव दिया है कि बीजिंग संभावित भविष्य के सीमा विवादों के लिए पानी का प्रयोग कर सकता है। दुशांबे और मॉस्को दोनों को यह समझ में आता है कि ताजिकिस्तान के पामीर क्षेत्र में सीमावर्ती चौकियों, हवाई अड्डों और सोने के खनन के रूप में चीनी निवेश इस क्षेत्र में ताजिक संप्रभुता को कमजोर करने के अपने प्रयासों का एक हिस्सा है।

चीन ने किया दावा

चीनी इतिहासकार चो याओ लू ने एक लेख में दावा किया गया है कि पूरा पामीर क्षेत्र कभी चीन का हिस्सा था, लेकिन ब्रिटेन और रूस के दबाव के कारण यह 19वीं सदी में इन क्षेत्रों को खो दिया। चीन को इसे वापस लेने के लिए चाहिए। याओ लू यह भी बताता है कि चीन 2010 में पामीर क्षेत्र के एक हिस्से को पुन: प्राप्त करने में सक्षम रहा। वह यहां 2011 के एक सौदे का जिक्र कर रहा है, जिसमें कर्ज से ग्रस्त ताजिकिस्तान को अपने विवादित क्षेत्र के 1,158 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को चीन को देना पड़ा। बीजिंग ने तब अपने क्षेत्र के इस हिस्से को कर्ज में डूबे दुशांबे को चीन को देने के लिए राजी कर लिया था।

 

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