नई तकनीक: से कर सकेंगे बच्चों के कान में संक्रमण की जांच

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एप्लीकेशन बनाया है, जो कान में होने वाले इंफेक्शन के बारे में जानकारी देगा। लोग अपने बच्चों के कान संबंधी समस्या खासतौर पर इंफेक्शन के बारे में घर पर ही पता कर सकेंगे। एक नए अध्ययन में सामने आया है कि यह तकनीक इतनी कारगर है कि इस एप से किया गया परीक्षण डॉक्टर की चिकित्सा की तरह ही सटीक होगा। इससे लोगों का समय तो बचेगा ही बच्चों को तुरंत राहत भी दी जा सकेगी। आइये जानते हैं…

बच्चों के कान में किसी प्रकार के संक्रमण की जानकारी के लिए अचानक परेशान होने की बजाय इस एप या तकनीक के माध्यम से कम समय में वास्तविक जानकारी ली जा सकती है। हालांकि प्रोजेक्ट अभी पूरा नहीं है, लेकिन इस तकनीक को बनाने वाली टीम फिलहाल तेजी से इस पर काम कर रही है।

80 प्रतिशत बच्चों में आती है समस्या
एक साक्षात्कार में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर गोलकोटा बताते हैं कि लगभग 80 प्रतिशत बच्चों में कान के इंफेक्शन से संबंधित समस्याएं आती हैं, जिनमें उन्हें डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत पड़ती है। कान का संक्रमण तब होता है जब द्रव कान के बीचोबीच आने लगता है। इस तरह के संक्रमण से मेनिन्जाइटिस हो सकता है। दर्दनाक होने के अलावा ये संक्रमण शिशुओं और बच्चों के लिए सुनना मुश्किल कर देते हैं, जिसके बदले में वे ठीक से बात नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कम उम्र के बच्चे से यह नहीं बता पाते हैं कि वे दर्द में हैं और फिर यह संक्रमण घातक हो जाता है। जिससे अभिभावकों के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो जाता है कि उन्हें डॉक्टर के पास कब जाना है क्योंकि वे उस समय समस्या से अंजान होते हैं।

17 साल तक की उम्र के बच्चों पर करेगा काम
गोलकोटा कहते हैं कि इसे बनाने का उद्देश्य है कि कान के संक्रमण से जुड़ी समस्याओं को लेकर भागदौड़ से छुटकारा और अभिभावकों का बोझ को कम करना था। गोलकोटा और उनके सहयोगियों ने 9 महीने और 17 साल उम्र के मध्य के 98 रोगियों पर तकनीक का परीक्षण किया और पाया कि यह बच्चों के कान में तरल पदार्थ का पता लगाने में अधिक प्रभावी था और डॉक्टर के परीक्षण की तरह ही सटीक भी।

इस तरह होता है परीक्षण
परीक्षण के लिए केवल एक छोटे से पेपर की बनी कीप की आवश्यकता होती है, जिसे प्रिंटर पेपर, टेप और कैंची से तीन मिनट के भीतर बनाया जा सकता है। इस तरह बनाया गया शंकु के आकार का वह कीप कान में लगाया जाता है और सॉफ्टवेयर से कान में एक अलग प्रकार का ऑडियो भेजा जाता है। कान में तरल पदार्थ की मात्रा और उपस्थिति के आधार पर कान और कीप दोनों कंपन करते हैं और इसे स्मार्टफोन में स्थित माइक्रोफोन ट्रैक कर लेता है और फिर बच्चे के कान में द्रव की स्थिति के बारे में जानकारी दे देता है। इसके अलावा यह भी पता चला कि यह तकनीक विभिन्न प्रकार के स्मार्टफोन मॉडल में काम करती है। प्रक्रिया के दौरान अगर बाहर शोर-शराबा हो रहा है तो भी इसके परिणाम पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

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